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अपने Portfolio को Rebalance करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

 

दोस्तों आज हम आपके पोर्टफोलियो रिबैलेंसिंग (Portfolio Rebalancing) और एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) के महत्व के बारे में जानेंगे। एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। और एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) के जरिए हम तय करेंगे कि आपको इक्विटी (Equity)में कितना पैसा निवेश करना  चाहिए और फिक्स्ड इनकम (Fixed Income) में आपको कितना पैसा रखना चाहिए।

 

एसेट एलोकेशन का फॉर्मूला क्या है?

 

मेरे विचार में एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) का कोई वैज्ञानिक फॉर्मूला (Scientific Formula)  नहीं है लेकिन कुछ लोगों ने एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) की एक फॉर्मूला बनाए है। इस फॉर्मूले में 100 में से आपकी उम्र को माइनस किया जाता है। और जो फ़िगर मिलती है उतना ही निवेश इक्विटि (Equity) में और बाकी का डेट इन्स्ट्रुमेंट (Debt Instrument) में करने को कहते है। इक्विटी फंड्स (Equity Funds) में ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना हमेशा बनी रहती है। लेकिन यह बाजार के उतार-चढ़ाव के अधीन है। जब की फ़िक्स्ड इंकम (Fixed Income) में किया हुआ निवेश आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता देगा। लेकिन आपको कम रिटर्न से संतुष्ट होना पड़ेगा।

 

निवेशक को अपना पैसा कैसे निवेश करना चाहिए?

 

यदि आप बाजार के उतार-चढ़ाव के साथ सहज हैं, तो आप अपने पोर्टफोलियो का 90% इक्विटी (Equity)में और 10% डेट फंड (Debt Fund) में भी रख सकते हैं। इस प्रकार का एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) आपकी जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है। प्रत्येक निवेशक की जोखिम लेने क्षमता (Risk Appetite) अलग अलग होती है। जब बाजार ऊपर जाता है तो वे हमें यह कहते हुए देखते हैं कि हम अधिक जोखिम लेने में सक्षम हैं। लेकिन जैसे-जैसे बाजार नीचे जाता है, वे डर के मारे बाजार छोड़कर हमेशा के लिए भाग जाते हैं। और बाजार में निवेशित रह कर रिटर्न पाने का जीवन का अवसर खो बैठ ते है। शेयर बाजार चक्रीय (Cyclical) है। इसलिए, हर निवेशक को अपने कंफर्ट जोन (Comfort Zone) में रहकर ही अपना पैसा निवेश करना चाहिए।


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 बैलेंस्ड फंड  यानी हाइब्रिड फंड में निवेश करने का मुख्य कारण क्या है?

 

जब हम बैलेंस्ड फंड (Balanced Fund) यानी हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund) में निवेश करने की सलाह देते हैं, तो इसका मुख्य कारण यह है कि आपको इसमें पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग (Portfolio Rebalancing) करने की जरूरत नहीं रहेगी। क्योंकि बैलेंस्ड फंड (Balanced Fund) में आपके पैसे का 70% -75% इक्विटी (Equity)में निवेश किया जाता है। और बाकी  का पैसा फिक्स्ड इनकम  (Fixed Income) में निवेश किया जाता है। ऐसे सेवानिवृत्त व्यक्तियों  (Retired Persons) को, जिन्हें अपने निवेश से तत्काल आय की आवश्यकता नहीं है, उन्हें बैलेंस्ड फंड  (Balanced Fund) में निवेश करना चाहिए। शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से वे भी भयभीत हो जाते है। ऐसे निवेशकों के लिए इक्विटी फंड (Equity Fund) में 50 % और डेट फंड (Debt Fund) में 50 % निवेश करने की सलाह दी जाती है। अगर इक्विटी (Equity)में 10% की कमी की जाती है तो आपका इक्विटी एलोकेशन (Equity Allocation) 40% हो जाएगा और इस समय आपको फिक्स्ड इनकम (Fixed Income  से पैसा खुद इक्विटी फंड (Equity Fund)  में ट्रांसफर करना होगा।

 

क्या बैलेंस्ड फंड में निवेशक को पोर्टफोलियो रिबैलेंसिंग करने की जरूरत है?

 

जबकि बैलेंस्ड फंड (Balanced Fund) यानी हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund) में आपको पोर्टफोलियो रिबैलेंसिंग (Portfolio Rebalancing) के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। यदि आप हर साल खुद ही पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग  (Portfolio Rebalancing)  करते हैं तो आपको अपने पोर्टफोलियो पर टैक्स की असर के बारे में भी अवगत रहेना चाहिए।

 

आपको हमेशा Buy Low और Sell High सिद्धांत (Concept) का खयाल रखना चाहिए। अगर यह सब एक्सरसाइज आपको मुश्किल लगती है तो आपको अपने फाइनेंशियल एडवाइजर (Financial Advisor) से सलाह लेनी चाहिए। जब आप इक्विटी फंड (Equity Fund) में निवेश करते हैं, तो आपका सारा पैसा इक्विटी (Equity)में निवेश किया जाता है। लेकिन बैलेंस्ड फंड् (Balanced Fund) में 70% इक्विटी ( Equity ) में और 30% डेट ( Debt ) में निवेश किया जाता है। और अगर आप कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड (Conservative Hybrid Fund) में निवेश करते हैं तो 70% पैसा फिक्स्ड इनकम (Fixed Income) में निवेश किया जाता है। यह सब फंड मैनेजर (Fund Manager) द्वारा किया जाता है। और आपको अपने पोर्टफोलियो (Portfolio) पर कर (Tax) के प्रभाव के बारे में फिक्र करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।       

 

इस तरह आपका एसेट एलोकेशन  (Asset Allocation)  बिल्कुल बना रहता है। अगर आप खुद ही अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस (Portfolio Rebalance) करना चाहते हैं तो आपको हर साल अपने पोर्टफोलियो पर इस एक्सरसाइज और टैक्स के असर का खास ध्यान रखना चाहिए।

 

मेरे विचार से, बैलेंस्ड फंड् (Balanced Fund) के माध्यम से पोर्टफोलियो को रीबैलेंस (Portfolio Rebalance)  करना एक बहुत ही सरल और कर-कुशल (Tax-Efficient) प्रक्रिया है ।

 

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Niketu Dave
I am an MBA and an AMFI (Association of Mutual Funds of India) registered Mutual Fund Distributor. I am passionate about Personal Finance, Investment, Mutual Funds and Share Markets. Facebook LinkedIn