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डेट फंड (Debt Fund) कैटेगरी के बारे में आप कितना जानते हैं?

 

एक निवेशक को यह जानना आवश्यक है कि डेट फंड (Debt Fund) को कैसे वर्गीकृत किया जाता है और इसकी विभिन्न श्रेणियां कौन-कौन सी हैं? 

 

इक्विटी फंड (Equity Fund) की तुलना में डेट फंड (Debt Fund) को वर्गीकृत करना अपेक्षाकृत आसान है। डेट फंड की दो मुख्य विशेषताएं परिपक्वता (Maturity) और क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) हैं। डेट फंड विभिन्न प्रकार के बॉन्ड में पैसा निवेश करते हैं। जिस तारीख को बॉन्ड का मूल मूल्य निवेशक को वापस करना है उस तारीख को ही बॉन्ड की मैच्योरिटी डेट (Maturity Date) मानी जाती है। 

 

ब्याज दर में कमी या वृद्धि के साथ बॉन्ड  के मूल्य में भी बदलाव होता है। अगर ब्याज दर कम हो जाती है तो ज्यादा ब्याज देने वाले पुराने बॉन्ड्स की वैल्यू बढ़ जाएगी। इसके विपरीत, यदि ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो कम ब्याज का भुगतान करने वाले पुराने बॉन्ड का मूल्य घट जाएगा। इस तरह ब्याज में बदलाव का सीधा असर आपके पोर्टफोलियो में डेट फंड के रिटर्न पर पड़ेगा। 

 

इस प्रकार, डेट फंड को उसकी परिपक्वता के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। 

 

ओवरनाइट फंड (Overnight Fund)

 

 ओवरनाइट फंड सिर्फ 1 दिन कि परिपक्वता ( Maturity ) अवधि वाली सेक्यूरिटीस में निवेश करते हैं। सेबी द्वारा 2018 में ओवरनाइट फंड श्रेणी को मंजूरी दी गई थी। ओवरनाइट फंड (Overnight Fund) को सभी डेट फंड श्रेणियों में सबसे सुरक्षित माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक ओवरनाइट फंड में इंटरेस्ट रेट रिस्क (Interest Rate Risk) जीरो होता है और क्रेडिट रिस्क (Credit Risk) भी कम होता है। 

 

लिक्विड फंड (Liquid Fund)  

 

 लिक्विड फंड की परिपक्वता अवधि (Maturity Period) 91 दिन होती है। लिक्विड फंड (Liquid Fund)  ऋण (Debt) और मुद्रा बाजार प्रतिभूतियों (Money Market Securities) में निवेश करता है। लिक्विड फंड आपके पैसे को ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर्स, फिक्स्ड डिपॉजिट या डेट सिक्योरिटीज में निवेश करता है। 

 

इक्विटी फंड (Equity Fund) की तुलना में डेट फंड (Debt Fund) को वर्गीकृत करना अपेक्षाकृत आसान है।

 

अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड (Ultra-Short Duration Fund)

 

  अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड आपके पैसे को डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करता है। इसके पोर्ट्फोलीयो  में शामिल सेक्यूरिटीस की परिपक्वता अवधि ( Maturity Period ) 3 से 6 महीने होती है। अ ल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड एक लो-रिस्क फंड ( Low Risk Fund ) है। 

 

लो ड्यूरेशन फंड (Low Duration Fund

 

लो ड्यूरेशन फंड भी डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करता है। इसके पोर्ट्फोलीयो  में शामिल सेक्यूरिटीस की परिपक्वता अवधि (Maturity Period) 6 से 12 महीने होती है। लो ड्यूरेशन फंड में लिक्विड फंड और अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड की तुलना में थोड़ा अधिक इंटरेस्ट रेट रिस्क (Interest Rate Risk) और क्रेडिट रिस्क (Credit Risk) होता है। 

 


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मुद्रा बाज़ार निधि (Money Market Fund) 

 

 मनी मार्केट फंड 1 साल की मैच्योरिटी वाले मनी मार्केट उत्पादों में निवेश करता है। ये फंड इस तरह से डिज़ाइन किए गए हैं कि फंड मैनेजर जोखिम को नियंत्रण में रखकर उच्च रिटर्न हासिल कर सकता है। 

 

शॉर्ट ड्यूरेशन फंड (Short Duration Fund

 

शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड भी डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करता है। इसके पोर्ट्फोलीयो  में शामिल सेक्यूरिटीस की परिपक्वता अवधि ( Maturity Period ) 1 से 3 साल की होती है। शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड में रिटर्न ब्याज आय और पूंजीगत लाभ (Capital Gain)  के माध्यम से अर्जित किया जाता है। यदि आप एक मध्यम स्तर का जोखिम लेने को तैयार हैं तो शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड आपको स्थिर रिटर्न प्रदान कर सकता है। 

 

मीडियम ड्यूरेशन फंड (Medium Duration Fund)

 

मीडियम ड्यूरेशन फंड् भी डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करता है। इसके पोर्ट्फोलीयो  में शामिल सेक्यूरिटीस की परिपक्वता अवधि (Maturity Period) 3 से 4 साल की होती है। इस फंड की लंबी अवधि के कारण ब्याज दर में बदलाव का इसके रिटर्न पर असर पड़ता है। 

 

मीडियम टू लॉन्ग ड्यूरेशन फंड (Medium to Long Duration Fund) 

 

मीडियम टू लॉन्ग ड्यूरेशन फंड भी डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करता है। इसके पोर्ट्फोलीयो  में शामिल सेक्यूरिटीस की परिपक्वता अवधि ( Maturity Period ) 4 से 7 साल की होती है। इस प्रकार का फंड उन निवेशकों के लिए आदर्श है, जिनके पास निवेश की लंबी अवधि है और जो रिटर्न के लिए उच्च जोखिम उठा सकते हैं। 

 

लॉन्ग ड्यूरेशन फंड (Long Duration Fund)

 

लॉन्ग ड्यूरेशन फंड भी डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करता है। इस फंड में शामिल सेक्यूरिटीस की अवधि 7 साल से ज्यादा होती है। लॉन्ग ड्यूरेशन फंड में अधिक रिटर्न मिलने की संभावना होती है। लेकिन इस तरह के फंड पर इंटरेस्ट रेट में बदलाव का असर पड़ता है। 

 

डायनेमिक फंड (Dynamic Fund

 

 डायनेमिक फंड किसी भी मैच्योरिटी पीरियड के लिए निवेश कर सकता है। ब्याज दर में बदलाव को ध्यान में रखते हुए डायनेमिक फंड डेट सिक्योरिटीज (Debt Securities) में निवेश करता है।  

 

इस प्रकार, इस मैच्योरिटी पीरियड वाले डेट फंड ( Debt Fund ) के अलावा कई अन्य प्रकार के डेट फंड भी हैं। आप इस तरह के डेट फंड के नाम से ही उस फंड द्वारा निवेश की गई प्रतिभूतियों ( Securities ) के बारे में जान सकते हैं।   

 

गिल्ट फंड (Gilt Fund

 

 ऐसे डेट फंड अपनी कुल संपत्ति का न्यूनतम 80 फीसदी हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में निवेश करते हैं। इन प्रतिभूतियों को गिल्ट्स (Gilts) भी कहा जाता है। गिल्ट कुछ और नहीं बल्कि भारत सरकार (Government of India) द्वारा जारी किए गए बॉन्ड है। भारत सरकार द्वारा जारी बॉन्ड कॉरपोरेट कंपनियों के बॉन्ड से अधिक सुरक्षित हैं। क्योंकि भारत सरकार की समय पर अपने बॉन्ड (Bond) का भुगतान करने में विफल होने की संभावना नहीं है। भारत सरकार द्वारा जारी यह बॉन्ड पहले गिल्डेड एज्ड सर्टिफिकेट (Gilded Edged Certificate)  के रूप में उपलब्ध था इसलिए इसका उपनाम गिल्ट है। 

 

गिल्ट फंड विद 10 एयर कान्स्टन्ट ड्यूरेशन (Gilt Fund with 10 year constant duration) 

 

इस प्रकार के डेट फंड अपनी कुल संपत्ति का 80% Gsec ( सरकारी प्रतिभूतियों ) में निवेश करते है। ऐसे डेट फंड् की फिक्स्ड मैच्योरिटी पीरियड 10 साल होती है। 

 

कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड (Corporate Bond Fund

 

 इस प्रकार के डेट फंड में, अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 80 फीसदी हिस्सा कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश किया जाता है। जिस निवेशकों को निश्चित लेकिन उच्च आय की आवश्यकता होती है उनके लिए कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड एक अच्छा विकल्प है। 

 

क्रेडिट रिस्क फंड (Credit Risk Fund

 

 ऐसे डेट फंड अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 65 फीसदी हिस्सा कॉरपोरेट बॉन्ड्स में निवेश करते हैं। यह पैसा नॉन-हाई रेटेड कंपनियों को दिया जाता है। लेनदार अपने बॉन्ड की कम क्रेडिट रेटिंग को ऑफसेट करने के लिए उच्च ब्याज का भुगतान करते हैं। लेकिन इसमें डिफॉल्ट की संभावना से यह बॉन्डस कभी-कभी ऋणदाता (Lender) के लिए खतरनाक भी साबित हो सकते  है। 

 

बैंक और पीएसयू फंड  (Bank and PSU Funds

इस प्रकार के ऋण फंड (Debt Fund) का कम से कम 80% बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Undertakings ) और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों ( Public Financial Institutions) के ऋण उत्पादों  (Debt Products) में निवेश किया जाता है। बैंक और पीएसयू फंड्स में हाई क्वालिटी क्रेडिटर्स की वजह से डिफॉल्ट का खतरा अपेक्षाकृत कम होता है। लेकिन अगर अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो इसका रिटर्न पर भी असर पड़ता है। 

 

फ्लोटर फंड  (Floater Fund) 

 

इस तरह के डेट फंड में कुल संपत्ति का 65% फ्लोटिंग रेट वाले बॉन्ड में निवेश किया जाता है। यदि अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में बदलाव आता है तो इन बॉन्डों द्वारा भुगतान की जाने वाली ब्याज दरें भी बदल जाती हैं।     

 

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Niketu Dave
I am an MBA and an AMFI (Association of Mutual Funds of India) registered Mutual Fund Distributor. I am passionate about Personal Finance, Investment, Mutual Funds and Share Markets. Facebook LinkedIn

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