Financial Planning for child
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अपने बच्चे के भविष्य के लिए वित्तीय योजना (Financial Planning for Child) कैसे बनाएं?

 

बच्चों के सपनों को पूरा करने की खुशी को सिर्फ अभिभावक ही समझ सकते हैं। एक जिम्मेदार अभिभावक के रूप में, आपको अपने बच्चे के सपनों और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक बाल वित्तीय योजना (Child Financial Plan) बनाने की आवश्यकता है। आपको अपने बच्चे को श्रेष्ठ शिक्षा प्रदान करने, शादी के खर्चों और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए वित्तीय योजना ( Financial Plan ) बनाने की आवश्यकता है। बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए निवेश के साथ-साथ बच्चे को वित्तीय कौशल (Financial Skill) सिखाना जरूरी है।

 

बाल वित्तीय योजना (Child Financial Planning)

 

बच्चे की वित्तीय योजना बनाने के लिए अभिभावक की आय , बचत , निवेश और जोखिम उठाने की क्षमता पर विचार करके वित्तीय लक्ष्य (Financial Goal) निर्धारित किए जाते हैं। यदि बच्चों के लिए वित्तीय योजना जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी की जाती है, तो निवेश को ज्यादा समय मिलेगा और अभिभावक अच्छी तरह से फाइनेंशियल प्लैनिंग (Financial Planning) कर पाएंगे। जब तक आपका बच्चा स्नातक नहीं हो जाता, तब तक का आपको वित्तीय नियोजन करना चाहिए। अगर वह आगे पढ़ाई करना चाहता है तो आपको एजुकेशन लोन (Education Loan) भी लेना चाहिए। अभिभावकों को आयकर अधिनियम की धारा 80 ई के तहत शिक्षा ऋण के खिलाफ कर बचत का लाभ मिलता है। मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए आपको हेल्थ इंश्योरेंस भी लेना चाहिए। ताकि आप अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें।

 

आईए अब हम बच्चों के आयु वार होने वाले खर्चों (Age wise expenses of Children) के बारे में समझते हैं। और उसके बाद बच्चों के लिए वित्तीय नियोजन (Financial Planning for Child) कैसे करें वह जानते हैं।

 

बाल चिकित्सा लागत (Child Medical Cost) 

 

आपको बच्चे के जन्म से पहले और बाद में होनेवाले अस्पताल के खर्चों के लिए वित्तीय नियोजन करना चाहिए। प्रत्येक माता-पिता अस्पताल के खर्च का वहन करते हैं। मेडिकल खर्चों की योजना (Financial Planning for Medical Expenses) बनाते समय बच्चे को दिए जाने वाले विभिन्न टीकों की लागत पर विचार करना भी महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, बच्चे की नियमित जांच, मेडिकल टेस्ट चार्ज, एम्बुलेंस चार्ज, सर्जरी चार्ज, हॉस्पिटल रूम चार्ज और मेडिसिन चार्ज इत्यादि को भी बच्चे की वित्तीय योजना (Financial Plan for Child) बनाते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए।

 

बाल शिक्षा लागत (Child Education Cost) 

 

जब आप अपने बच्चे का प्ले ग्रुप में दाखिला लेते हैं तब से लेकर वह स्नातक हो जाए तब तक की शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर होने वाले खर्चों का आपको बाल शिक्षा योजना (Child Education Plan) बनाते समय खयाल रखना  चाहिए। इसके लिए 15-20 वर्षों की बचत की योजना आपको बनानी चाहिए। स्कूल की फीस के अलावा, आपको निजी ट्यूशन और कोचिंग क्लास की फीस का भी प्लैनिंग करना जरूरी हैं। और अगर आपका बच्चा विदेश में उच्च अध्ययन के लिए जाना चाहता है, तो आपको इसके लिए अग्रिम योजना बनाने की आवश्यकता है। इस प्रकार भविष्य में होनेवाले शिक्षा खर्चों का वित्तीय नियोजन (Financial Planning) मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।

 

इसके अलावा, यदि स्कूल आपके निवास से बहुत दूर है, तो आपको परिवहन शुल्क (Transportation Fees) को ध्यान में रखना होगा। स्कूल फीस के अलावा स्टेशनरी, किताबें, यूनिफॉर्म और प्रोजेक्ट की सामग्री को भी ध्यान में रखना जरूरी है। और यदि आपका बच्चा विदेश में अध्ययन करने जा रहा है, तो उस देश की मुद्रा में आपको ऐप्लकैशन  फीस, वीजा फीस, इंस्टीट्यूट फीस, आवास लागत (Cost of Living) , ट्रांसपोर्टेशन खर्च, खाने का खर्च  और हेल्थ इंश्योरेंस खर्च की योजना बनानी होगी।

 

इसके अलावा बच्चे की वित्तीय योजना (Child Financial Plan) बनाते समय इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे लैपटॉप, मोबाइल फोन, टैबलेट आदि की लागत को ध्यान में रखना होगा। इसके साथ ही आपको अपने बच्चे की ट्रैवल , मूवी और शॉपिंग के खर्चों का भी ध्यान रखना होगा।

 

बच्चे की शादी का खर्च (Child Marriage Cost) 

 

अगर आपका बच्चा अच्छी कमाई कर रहा है तो शादी का खर्च बच्चे को खुद वहन करना चाहिए। लेकिन अभिभावक के रूप में शादी के खर्च में मदद करने की आपकी भी जिम्मेदारी है। इसके अलावा भारतीय शादियों में सोना देने का भी रिवाज है। इसके लिए आपको सोने की कीमत कम होने पर सोना खरीदते रहना चाहिए। इस प्रकार, चाइल्ड फाइनेंशियल प्लान (Child Financial Plan) में शादी के खर्च के लिए भी प्लान बनाना जरूरी है।

 

इसके अलावा, बच्चों को यात्रा (Travelling) और आवास के लिए घर की भी आवश्यकता होगी। तो इसके लिए भी आपको पहले से योजना बनाने की जरूरत है।

 


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विभिन्न वित्तीय उत्पादों (Financial Products) में निवेश करके, आप अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।

 

सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Scheme) 

 

सुकन्या समृद्धि योजना बालिकाओं के लिए सबसे अच्छी वित्तीय योजना है। इस योजना का सबसे ज्यादा इस्तेमाल तब किया जाता है जब लड़कियों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग की जाती है। इस योजना की लॉक-इन अवधि 21 वर्ष है।  इस योजना में अभिभावक सालाना डेढ़ लाख रुपये का निवेश कर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत टैक्स बचा सकते हैं।

         

बच्चों की वित्तीय योजना के लिए म्युचुअल फंड (Mutual Fund for Child’s Financial Planning) 

 

जब हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करते हैं तब हम म्यूचूअल फंड में निवेश करने की सलाह देते हैं। क्योंकि म्यूचुअल फंड निवेश के लिए एक उत्कृष्ट और सुविधाजनक प्रोडक्ट है। आपको अपने पैसे का अधिकतम आवंटन इक्विटी फंड्ज जैसे लार्ज कैप, मिड कैप, स्माल कैप और ईटीएफ में करना चाहिए। एसआईपी के जरिए आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर बड़ा फंड जुटा सकते हैं। ज्यादातर अभिभावक ELSS (Equity Linked Savings Scheme) में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश करके आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत कर बचत का लाभ उठा सकते हैं। लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि इस योजना की लॉक-इन अवधि तीन साल है।

 

इसके अलावा शॉर्ट टर्म फाइनेंशियल गोल (Short-Term Financial Goal) के लिए बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट या रेकरिंग डिपॉजिट में निवेश करना चाहिए। इसके अलावा आप लिक्विड फंड  (Liquid Fund) में भी निवेश कर सकते हैं। लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में लिक्विड फंड थोड़ा ज्यादा जोखिम भरा होता है। लिक्विड फंड की अवधि एक वर्ष या उससे कम समय की होती है।

 

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public Provident Fund)

 

पीपीएफ एक लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट है। पीपीएफ की लॉक इन पीरियड 15 साल है। लेकिन पीपीएफ में खाता खोलने के 7 साल बाद निकासी संभव है। लेकिन मेरे विचार से अभिभावक को इस निवेश को बढ़ने देना चाहिए। अभिभावक पीपीएफ में प्रति वर्ष अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं और यह निवेश आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत कर बचत के लिए योग्य है।

 

बाल बीमा कवर (Child Insurance Cover) 

 

इसके अलावा किसी भी अपरिहार्य परिस्थितियों से निपटने के लिए अभिभावक के पास पर्याप्त बीमा कवर होना जरूरी है। ताकि आपातकाल की स्थिति में बच्चों को आर्थिक समर्थन मिल सके। बीमा पॉलिसी की बीमा राशि बच्चे के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए। जीवन बीमा के साथ-साथ आपको हेल्थ कवर भी लेना जरूरी है।

 

बाल योजना (Child Plan) 

 

विभिन्न बीमा कंपनियां बाल शिक्षा बीमा योजना (Child Education Insurance Plan) पेश करती हैं। इस योजना में बच्चे की शिक्षा के खर्च के साथ-साथ सुरक्षा भी शामिल है। इस योजना में नियमित प्रीमियम का भुगतान करने के बाद मैच्योरिटी डेट पर एकमुश्त राशि वापस कर दी जाती है। पॉलिसी पीरियड के दौरान आप कुछ खास आपात स्थिति में पैसे निकाल भी सकते हैं। मुख्य रूप से दो प्रकार की बाल योजनाएं हैं: 1) बचत योजना और 2) यूलिप प्लान। बचत योजनाओं में बाजार का कोई जोखिम नहीं होता है। इसके अलावा इसमें लाइफ कवर , टैक्स सैविंग और मैच्योरिटी बेनिफिट्स भी मिलते हैं। जबकि चाइल्ड यूलिप प्लान (Ulip Plan) में राशि को दो भागों में विभाजित किया जाता है। एक हिस्सा बीमा और दूसरा बाजार में इक्विटी, डेट या बैलेंस्ड फंड में निवेश किया जाता है। आयकर अधिनियम ,1961 की धारा 80 सी के तहत भुगतान किए गए प्रीमियम पर कर बचत का लाभ मिलता है। जबकि मैच्योरिटी आय पर धारा 10 (10 डी) के तहत कर बचत का लाभ मिलता है।

 

आपके बच्चे के भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों के लिए वित्तीय योजना (Financial Plan) बनाना एक वनटाइम प्रक्रिया नहीं है। वित्तीय नियोजन के बाद निवेश करके भूल जाना आपके बच्चे के भविष्य के लिए बहुत जोखिम भरा हो सकता है। आपको अपने निवेश को नियमित रूप से जांचना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो पुनर्आवंटन (Reallocation) भी करना चाहिए। इस प्रकार, संतान के लिए वित्तीय नियोजन (Financial Planning for Child) करना बहुत महत्वपूर्ण है।

 

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Niketu Dave
I am an MBA and an AMFI (Association of Mutual Funds of India) registered Mutual Fund Distributor. I am passionate about Personal Finance, Investment, Mutual Funds and Share Markets. Facebook LinkedIn

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