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दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले ETF (Exchange Traded Fund) के बारे में क्या आप यह जानते हैं?

 

ईटीएफ (एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड) दुनिया भर में एक वित्तीय साधन के रूप में व्यापक स्वीकृति प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन भारत में कई निवेशक इस निवेश विकल्प के बारे में नहीं जानते हैं। हमारे देश को अब दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते ईटीएफ बाजारों में गिना जा रहा है। पिछले तीन साल में ईटीएफ मार्केट तीन गुना हो गया है। लेकिन ज्यादातर लोग इसकी अवधारणा और संचालन से अनजान हैं। भारत सरकार द्वारा ईटीएफ प्रोडक्टस में निवेश को प्रोत्साहित करने की नीति से पहले की तुलना में अब इसको समझने की बहुत आवश्यकता है।

 

ETF (Exchange Traded Fund) में निवेशकों की रुचि पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ी है। क्योंकि यह कम लागत पर और नियमों के अधीन बाजार में निवेश करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। यदि सीधे शब्दों में कहें तो एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड एक ऐसा फ़ंड है जिसका स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार किया जाता है। दरअसल, ईटीएफ और म्यूचुअल फंड में कुछ समानताएं हैं। और स्टॉकस के साथ समानता के कारण निवेशकों के बीच चयनात्मक बन रहे हैं। इंडेक्स म्यूचुअल फंड की तरह, यह फ़ंड भी सेंसेक्स या निफ्टी जैसे सूचकांकों को ट्रैक करता है।

 

इसलिए ईटीएफ की कीमत में दिन भर उतार-चढ़ाव होता रहता है। इस प्रकार यह ट्रेडिंग सुविधा एक निश्चित मूल्य पर आपके निवेश को वापस लेने या निवेश करने के लिए फायदेमंद साबित होती है। एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड एक नियम आधारित निवेश अवसर (Rule based Investment Opportunity) है। इसलिए निवेशकों को निवेश की रणनीति के बारे में पहले से सूचित किया जाता है। अधिकांश ईटीएफ (Exchange Traded Fund) सूचकांक को  ट्रैक करते हैं। लेकिन उनका लक्ष्य सूचकांक से अधिक रिटर्न देना नहीं है।

 

भारत में 2001 में ETF की स्थापना के बाद से उसने लंबा सफर तय किया है। गोल्ड और सीपीएसई ईटीएफ में खुदरा (retail) निवेशकों की सफलता और ईपीएफओ द्वारा बाजार में ईटीएफ में कर्मचारी भविष्य निधि के एक हिस्से का निवेश करने के निर्णय से ईटीएफ उद्योग में भारी वृद्धि हुई है। ब्लूमबर्ग की 2017 की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, भारत जापान के बाद दुनिया का दूसरा सबसे तेजी से बढ़ता ईटीएफ बाजार है।

 

फिर भी, यह कहा जा सकता है कि ईटीएफ उद्योग अभी भी भारत में अपनी प्रारंभिक अवस्था में है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस वित्तीय उत्पाद के बारे में अभी भी पर्याप्त जागरूकता नहीं है। एक्सचेंज ट्रेडेड फ़ंड में निवेशकों की दिलचस्पी दुनिया भर में खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका में काफी बढ़ी है। जैसे-जैसे भारतीय निवेशकों में जागरूकता बढ़ती जा रही है, इसे तरह के फ़ंड में निवेश का प्रवाह भी बढ़ रहा है।

 

एक जागरूक निवेशक के रूप में आपको यह जानना होगा कि आपके पोर्टफोलियो में ईटीएफ की क्या भूमिका है और यह नियमित म्यूचुअल फंड से कैसे अलग है। ETF की लागत पारंपरिक म्यूचुअल फंड से कम है। क्योंकि उसे निष्क्रिय रूप से प्रबंधित किया जाता है। Exchange Traded Fund और इंडेक्स रिटर्न के बीच के अंतर को ट्रैकिंग एरर कहा जाता है। शेयर बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर ईटीएफ की कीमत में उतार-चढ़ाव होता है। इस प्रकार, भले ही ईटीएफ एक म्यूचुअल फंड है, लेकिन यह एक शेयर की तरह कारोबार करता है।

 

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड आपके पोर्टफोलियो में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।  इस प्रकार के फंड्ज एक सक्रिय निवेश रणनीति (Active Investment Strategy) के बजाय एक निष्क्रिय निवेश रणनीति (Passive Investment Strategy) का पालन करते हैं इसलिए यह फंड्ज आमतौर पर बाजार के रिटर्न को दोहराते है।

  

तो आइए ETF (Exchange Traded Fund) के निर्माण, इसके प्रकार, विशेषताओं, फायदे और नुकसान को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश करते हैं।

 

एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड क्या है?

 

ETF का कारोबार एक्सचेंज में होता है, इसलिए इसकी कीमत लगातार रियल टाइम मार्केट के आधार पर तय होती है। यह फंड्ज कुछ और नहीं बल्कि सूचकांक आधारित प्रतिभूतियों (Securities) का एक पोर्टफोलियो है। Exchange Traded Fund का जोखिम और रिटर्न स्टॉक इंडेक्स, गोल्ड और रियल एस्टेट जैसी परिसंपत्तियों के अंतर्निहित मूल्य से संबंधित है। इस फंड् में न्यूनतम लॉट साइज़ बाजार में ट्रेडेड स्टॉक की तरह 1 यूनिट है।

 

एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड एक ऐसा निवेश वाहन है जो आपके पोर्टफोलियो में विविधता प्रदान करता है। यह फंड्ज स्टॉक्स, बॉन्ड्स, कमोडिटीज, करेंसी, ऑप्शंस, फ्यूचर्स और रियल एस्टेट जैसी एसेट्स में निवेश करते हैं। और लिस्टेड स्टॉक एक्सचेंजों पर व्यापार के लिए एनएफओ (New Fund Offer) की पेशकश करते हैं। आप इसमें ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या ब्रोकर की मदद से ट्रेड कर सकते हैं। पारंपरिक म्यूचुअल फंड में, एनएवी की गणना दिन के अंत में की जाती है जबकि ईटीएफ की कीमत लगातार वास्तविक बाजार के आधार पर निर्धारित की जाती है।

 

ETF को भारत में पहली बार दिसंबर 2001 में लॉन्च किया गया था। इसकी  लोकप्रियता के दो मुख्य कारण हैं। सबसे पहले, जब बाजार ओवरवैल्यूड हो जाता है और इंडेक्स की तुलना में अधिक रिटर्न प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है, तो निष्क्रिय निवेश को सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड्ज की तुलना में अधिक लाभ होता है।

 


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ईटीएफ (एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड) की प्रक्रिया क्या है?

 

एएमसी (Asset Management Company), जो ईटीएफ को प्रायोजित करती है, प्राथमिक बाजार में ईटीएफ ब्लॉक जारी करने के लिए इंडेक्स की विभिन्न श्रेणियों वाली कंपनियों के शेयरों को खरीदती है। म्यूचुअल फंड की तुलना में शेष ईटीएफ इकाइयों की संख्या की कोई सीमा नहीं है। ईटीएफ यूनिट के रिडेम्पशन और क्रिएशन के लिए शेयरों में भी बढ़ोतरी और कमी की जाती है।

 

एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड के कितने प्रकार  हैं?

 

ETF इक्विटी ईटीएफ, कमोडिटी ईटीएफ, डेट ईटीएफ और ग्लोबल ईटीएफ जैसे विभिन्न विकल्पों की उपलब्धता के कारण लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।

 

इंडेक्स ईटीएफ (Index ETF)

 

 इंडेक्स ईटीएफ विभिन्न ईटीएफ उत्पादों में सबसे पुराना Exchange Traded Fund है। Index ETF शेयरों को इस तरह से खरीदते हैं, जिससे Nifty या सेंसेक्स को रिफ्लेक्ट किया जा सके। इंडेक्स फंड में निवेश करने से निवेशक को व्यापक विविधता का लाभ मिलता है क्योंकि वे  इंडेक्स के प्रदर्शन की नकल करता है। 

 

बैंक ईटीएफ (Bank ETF)

 

इस एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड में इंडेक्स में सूचीबद्ध केवल बैंक शेयर शामिल हैं। यह आसानी से तरलता दे सकता है क्योंकि इसका व्यापार अधिक है। मुद्रा बाजार और ऋण बाजार जैसी वित्तीय गतिविधियों का बैंकों द्वारा कारोबार किया जाता है। कामकाजी आबादी, डिस्पोजेबल इनकम, प्रभावी ऑपरेशनल बैंकिंग सुविधाओं और आरबीआई द्वारा पर्यवेक्षण के कारण बैंक ईटीएफ की मांग बढ़ रही है।

 

लिक्विड ईटीएफ (Liquid ETF) 

 

लिक्विड ईटीएफ ज्यादातर शॉर्ट मैच्योरिटी फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कि कॉल मनी, शॉर्ट टर्म गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, मनी मार्केट आदि में निवेश करते हैं। इससे पैसों की सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलती है। 

 

अंतरराष्ट्रीय ईटीएफ (International ETF) 

 

अंतरराष्ट्रीय ईटीएफ विश्व स्तर पर इक्विटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड है। जहां स्थानीय निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेश का मौका मिलता है। कई बार जब भारतीय शेयर बाजार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा होता है तो ऐसे समय में अमेरिकी इक्विटी में निवेश आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता देता है। वैश्विक ईटीएफ बाजार पिछले 15 वर्षों से अनुमानित 20 % की दर से बढ़ रहा है।

 

कमोडिटी ईटीएफ (Commodity ETF)

अब ईटीएफ न केवल स्टॉक्स में ट्रेड कर रहे हैं बल्कि कमोडिटीज में भी अपनी पहुंच का विस्तार किया है। कमोडिटी ईटीएफ कमोडिटी इंडेक्स को ट्रैक करता है।  इसमें कमोडिटी का फिजिकल स्टोरेज और डेरिवेटिव पोजीशन भी शामिल है। भारतीयों की सबसे प्रिय वस्तु सोना है। मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के लाभों के कारण कई निवेशक गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर रहे हैं।

 

गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) 

 

गोल्ड ईटीएफ डिफ़ॉल्ट एसेट के रूप में भौतिक सोने में निवेश करते हैं। निवेशक कम रिटर्न के बावजूद इस ईटीएफ में निवेश करना पसंद करते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करता है। भारत में गोल्ड ETF का प्रदर्शन भौतिक सोने के मूल्य पर निर्भर करता है। गोल्ड ईटीएफ की कीमत भौतिक सोने के आसपास घूमती है। गोल्ड ईटीएफ का एक्सपेंस रेशियो म्यूचुअल फंड के एक्सपेंस रेशियो से कम है। गोल्ड ईटीएफ में निवेश भौतिक सोने में निवेश करने की तुलना में अधिक कर कुशल और तरल है।और सोने को स्टोर करने का कोई जोखिम भी नहीं है। इस प्रकार गोल्ड ईटीएफ में निवेश मुद्रास्फीति और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करता है।भारत में पहला गोल्ड ईटीएफ Gold BeES ETF द्वारा 2007 में स्थापित किया गया था। इस प्रकार गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने से निवेशक को सोने में निवेश करने का अवसर मिलता है। और गोल्ड को सुरक्षित रखने के लिए आपको बैंक लॉकर का कोई चार्ज भी नहीं देना होगा।

 

बॉन्ड ईटीएफ क्या है?

 

बॉन्ड ईटीएफ (Bond ETF) को हाल ही में भारतीय बाजार में लॉन्च किया गया है। तो आइए जानते हैं बॉन्ड ईटीएफ के बारे में। बॉन्ड ETF में पारंपरिक म्यूचुअल फ़ंड की तरह ही स्टॉक एक्स्चेंज के माध्यम से बॉन्ड में ट्रेडिंग किया जाता है। बॉन्ड ईटीएफ एक कम लागत वाला उत्पाद है। बॉन्ड ईटीएफ को मुख्य रूप से चार श्रेणियों में बांटा गया है। यह श्रेणी कॉरपोरेट, सॉवरेन, गवर्नमेंट और ब्रॉड मार्केट है। कुछ बॉन्ड ईटीएफ क्रेडिट गुणवत्ता या परिपक्वता को ट्रैक करते हैं जबकि अन्य भौगोलिक क्षेत्र या उद्योग को ट्रैक करते हैं।

 

ईटीएफ पर टैक्स का क्या असर होता है?

 

एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड पर लॉन्ग टर्म यानि 36 महीने से ज्यादा की अवधि के लिए 20 % कैपिटल गेन टैक्स लगता है। और इसके ऊपर आपको इंडेक्सेशन का फायदा भी मिलता है। शॉर्ट टर्म यानी 36 महीने तक निवेशक की आय में कैपिटल गेन टैक्स जोड़ा जाता है और उसके ऊपर आपको इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा।

 

ईटीएफ में ट्रेडिंग कैसे करें? 

 

ETF में ट्रेडिंग मुश्किल नहीं है क्योंकि इसमें ट्रेडिंग ठीक वैसे ही की जाती है जैसे शेयरों में ट्रेडिंग होती है।स्टॉक एक्सचेंज ट्रेडिंग के समय के दौरान आप ऑनलाइन पोर्टल्स या ब्रोकरों के माध्यम से Exchange Traded Fund में व्यापार कर सकते हैं। यदि आप किसी विशेष ईटीएफ में नियमित रूप से निवेश करना चाहते हैं, तो आप एसईपी (सिस्टेमेटिक इक्विटी प्लान) शुरू कर सकते हैं। जिस तरह हम म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह हम ETF में SEP (Systematic Equity Plan) के जरिए निवेश कर सकते हैं। 

 

ETF में ट्रेडिंग से पहले ध्यान रखने योग्य बातें 

 

  • इस में ट्रेडिंग से पहले आपको एक सामान्य बाजार, इंडेक्स फंड, एक विशिष्ट क्षेत्र, उद्योग या कमोडिटी फंड चुनना होगा।
  • आपको यह तय करना होगा कि निवेश लंबी अवधि के लिए है या छोटी अवधि के लिए।
  • इस तरह के फ़ंड में शामिल शेयरों के प्रदर्शन को जांचते रहना आवश्यक है।
  • एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड की लागत नियमित म्यूचुअल फंड की तुलना में कम होती है, लेकिन क्लोज एंडेड ईटीएफ (Close Ended ETF) में अतिरिक्त प्रबंधन शुल्क का भुगतान करना होगा। 

 

क्या ईटीएफ म्यूचुअल फंड है?

 

वैसे तो सभी ईटीएफ को फंड कहा जाता है। लेकिन वह वास्तव में म्यूचुअल फंड नहीं हैं। उनके बीच एकमात्र समानता एनएवी (Net Asset Value) की है। अन्यथा, ईटीएफ स्टॉक्स की तरह ही एक्सचेंज पर कारोबार कर रहे हैं। 

 

क्या आपके पोर्टफोलियो में Exchange Traded Fund होना चाहिए?

 

Exchange traded fund में निवेश करने का एक फायदा यह है कि आप एक्सचेंज में ट्रेड होने वाले कई स्टॉक्स में एक ही फंड के जरिए निवेश कर सकते हैं। यह आपको विभिन्न क्षेत्रों और उद्योगों में निवेश करने का अवसर प्रदान करता है। ताकि पोर्टफोलियो के विविधीकरण का उद्देश्य पूरा हो सके। आप अपने पोर्टफोलियो जोखिम को कम करने के लिए कमोडिटी ईटीएफ में भी निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, आप इंडेक्स ईटीएफ में निवेश करके अपने निवेश का दायरा बढ़ा सकते हैं।

 

एक्सचेंज ट्रेडेड  फंड  में निवेश करने के क्या फायदे हैं?  

 

  • ईटीएफ का व्यय अनुपात (Expense Ratio) म्यूचुअल फंड की तुलना में कम है।
  • इस फंड में निवेश करना कम जोखिम भरा है क्योंकि आपका पैसा एक स्टॉक के बजाय इंडेक्स में शामिल स्टॉक्स में निवेश किया जाता है।
  • इंडेक्स में लिस्टेड स्टॉक्स और ईटीएफ एनएवी के वैल्यू के बीच समानता होगी।
  • और स्टॉक्स की कीमतों में वृद्धि और गिरावट के साथ, बाजार की अवधि के दौरान NAV की कीमत भी बढ़ेगी या घटेगी।

 

 ईटीएफ में निवेश करने के नुकसान क्या हैं?

 

  • बाजार में नियमित रूप से सभी फ़ंड का कारोबार नहीं किया जाता है।
  • यह फ़ंड जिस इंडेक्स का अनुसरण करते है उस से अधिक रिटर्न नहीं दे सकते।
  • आप केवल बाजार के समय के दौरान अपनी यूनिट बेच सकते हैं।
  • अगर बाजार में कोई खरीदार नहीं है तो आप अपनी यूनिट नहीं बेच सकते।
  • इसकी निपटान अवधि (Settlement Period) T + 2 है , इसलिए आपको दो दिनों बाद आपकी राशि मिल जाएगी।

 

इस प्रकार ईटीएफ (एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड) सबसे सरल पोर्टफोलियो डायवर्सिफायर है। जो निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, उन्हें ETF के बारे में सोचना चाहिए। और अपने निवेश को म्यूचुअल फंड से Exchange Traded Fund में स्विच करना चाहिए।

 

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Niketu Dave
I am an MBA and an AMFI (Association of Mutual Funds of India) registered Mutual Fund Distributor. I am passionate about Personal Finance, Investment, Mutual Funds and Share Markets. Facebook LinkedIn