हम अपने दैनिक जीवन में भी बहुत सी गलतफहमियाँ से पीड़ित होते हैं। लेकिन जब निवेश (Investment) की बात आती है तो यह बहुत नुकसानदेह होता है। इन गलतफहमियों की हमारे निवेश पर हुए असरों की हमे पता चले तब तक ज़्यादातर किस्सों में बहुत देर हो चुकी होती है। तो चलिए जानते हैं म्यूचुअल फ़ंड (Mutual Fund) के बारे में मौजूदा गलतफहमियों के बारे में।
NFO के बारें में सबसे बड़ी गलतफहमी क्या है?
सबसे पहले, ज़्यादातर निवेशकों को NFO (New Fund Offer) के बारे में गलतफहमी (Misconception) होती है। वे समझते हैं कि NFO (New Fund Offer) का NAV (Net Asset Value) कम है इसलिए यह एक बेहतर निवेश है। क्योंकि ज्यादातर एनएफओ (NFO) 10 रुपये के फेस-वैल्यू (Face-Value) पर ऑफर किए जाते हैं। यह और कुछ नहीं म्यूचुअल फंड की मार्केटिंग तकनीक (Marketing Technique) है। ज़्यादातर निवेशक ऐसा समझते है की कम NAV वाले म्यूचुअल फ़ंड अच्छे होते हैं और हाइ NAV वाले म्यूचुअल फ़ंड खराब होते है पर यह एक गलत धारणा है।
क्या अलग-अलग म्यूचुअल फंड में निवेश लगातार बदलते रहना चाहिए?
कुछ निवेशकों का मानना है कि अलग-अलग म्यूचुअल फंड में निवेश लगातार बदलते रहना चाहिए। यह एक बहुत बड़ी भूल है। ऐसे निवेशक पिछले तीन-चार महीनों के म्यूचुअल फंड के अपने रिटर्न के आधार पर ऐसा करते देखे जाते हैं। लेकिन वह यह नहीं जानते कि म्यूचुअल फंड मैनेजर (Mutual Fund Manager) ने यह रिटर्न पाने के लिए कोई क्रेडिट रिस्क (Credit Risk) लिया है या नहीं। प्रत्येक निवेशक को अपनी जोखिम लेने की क्षमता (Risk Appetite) के आधार पर निवेश करना चाहिए। और सिर्फ पिछले रिटर्न को देखकर अपने पोर्टफोलियो को बदलना नहीं चाहिए। ऐसा करने पर आपके पोर्टफोलियो (Portfolio) पर इस की असर का भी ध्यान रखना चाहिए।
प्रत्येक निवेशक को यह याद रखना चाहिए कि बाजार से जुड़े निवेश (Market-Linked Investments) लंबी अवधि के लिए हैं। और अगर यह कम समय में बार-बार बदलता है, तो आपके पोर्टफोलियो को बड़ा नुकसान होगा। और यदि आप अपने निवेश को एक म्यूचुअल फंड स्कीम (Mutual Fund Scheme) से दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीम में बदलते रहते हैं, तो आपको अपने पोर्टफोलियो पर LTCG (Long Term Capital Gain टैक्स और STCG (Short Term Capital Gain) टैक्स को भी ध्यान में रखना होगा। इसलिए मैं हर निवेशक को सावधानी से निवेश चुनने की सलाह देता हूं और लंबे समय तक निवेशित (Invested) रहें। ताकि आप STCG (Short Term Capital Gain) टैक्स देने से बच सकें।
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म्यूचुअल फंड ( Mutual Fund ) में एग्जिट लोड ( Exit Load ) को समझें
एक म्यूचुअल फ़ंड स्कीम से दूसरी म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में निवेश करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
जब इनवेस्टमेंट को एक म्यूचुअल फ़ंड स्कीम से दूसरी म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में निवेश करते हो तो हमे एक्ज़िट लोड (Exit Load) का भी ध्यान रखना चाहिए। यह एग्जिट लोड भी आपके पोर्टफोलियो रिटर्न को कम करता है। इसलिए, मैं हर निवेशक को इस प्रकार के व्यवहार से बचने के लिए टैक्स-सेविंग फंड (Tax-Saving Fund) में निवेश करने की सलाह देता हूं। क्योंकि आप तीन साल के लिए टैक्स-सेविंग फंड से पैसे नहीं निकाल पाएंगे और आपको लंबी अवधि के निवेश के फायदे देखने को मिलेंगे। तीसरी गलतफहमी म्यूचुअल फंड स्कीम के डिविडेंड प्लान (Dividend Plan) के बारे में है।
म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान या म्यूचुअल फंड ग्रोथ प्लान में से किस में निवेश करना उचित है?
ज़्यादातर निवेशक स्टॉक्स में मिलते डिविडेंड और म्यूचुअल फ़ंड प्लान में मिलते डिविडेंड को एक समान मानते हैं। म्यूचुअल फ़ंड के डिविडेंड प्लान (Dividend Plan) में आपको आपके निवेश से डिविडेंड दिया जाता है। इससे आपकी पूंजी (Capital) कम हो जाएगी। इसके अलावा, DDT (Dividend Distribution Tax) सरकार द्वारा डिविडेंड पर लगाया जाता है। DDT की वजह से आपका रिटर्न भी प्रभावित होता है। और अगर आप म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान (Mutual Fund-Dividend Plan) में निवेश करना जारी रखते हैं, तो आपके निवेश को लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग (Long- Term Compounding) का लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए, म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान के बजाय म्यूचुअल फंड ग्रोथ प्लान (Mutual Fund-Growth Plan) में निवेश करना उचित है।
और अगर आपको नियमित आय (Regular Income) की आवश्यकता है, तो आपको डिविडेंड प्लान के बजाय म्यूचुअल फंड में SWP (Systematic Withdrawal Plan) करना चाहिए। क्योंकि यह अधिक कर-कुशल (Tax-Efficient) है।
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